आजकल स्ट्रोक सिर्फ बुजुर्गों को होने वाली समस्या नहीं रह गई है, बल्कि अब यह 20 से 40 साल के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है।
मुलुंड स्थित Fortis Hospital के डॉ. गुरनीत सिंह साहनी के अनुसार, युवा मरीजों में शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी, चेहरे की मांसपेशियों में खिचांव या बोलने में तकलीफ जैसी दिक्कतें अब आम हो गई हैं।
डॉ. गुरनीत ने यह भी बताया कि पहले स्ट्रोक से जुड़ी ये सभी समस्याएं, सिर्फ बुजुर्गों में देखी जाती थीं। लेकिन, कई वजहों के चलते इन्होंने युवाओं के शरीरों पर भी कब्जा जमाना शुरू कर दिया है।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है हमारी जीवनशैली। घंटों बैठे रहना, गलत खानपान, मोटापा और लगातार तनाव – ये सभी आदतें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को जन्म देती हैं, जो स्ट्रोक के बड़े कारण हैं।
साथ ही, नींद की गड़बड़ी और नशे की लत भी इस खतरे को कई गुना बढ़ा देती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, हमारी नसों को वक्त से पहले बूढ़ा बना रही है।
डॉ. गुरनीत के मुताबिक, अक्सर इसके पीछे कुछ छिपे हुए जेनेटिक कारण भी होते हैं। खून के थक्के जमने की जेनेटिक समस्या, नसों का फटना या शरीर में लिपिड से जुड़ी दिक्कतें स्ट्रोक की बड़ी वजहें बनती हैं।
साथ ही, दिल की जन्मजात बीमारियां, जैसे कि “पेटेंट फोरेमन ऑवल” भी स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाती हैं। ऐसे में, जेनेटिक टेस्ट और हार्ट स्कैनिंग से पहले ही इसके खतरे को टाला जा सकता है।
अच्छी बात यह भी है कि स्ट्रोक के जानलेवा प्रभाव को रोका जाना संभव। नियमित हेल्थ चेकअप, संतुलित आहार, व्यायाम और ब्लड प्रेशर व शुगर पर नियंत्रण रखने से ऐसा किया जा सकता है।
युवाओं में बढ़ता स्ट्रोक वाकई एक चेतावनी है। ऐसे में, दिल और दिमाग की सेहत का ध्यान रखने की आदत बचपन से ही होनी चाहिए। यह भी जानना जरूरी है कि रोकथाम ही इसका असली इलाज है।
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